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अस्वीकृत
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अस्वीकृत


यह काफी महत्वपूर्ण दिन था, क्योंकि श्री ली पहले कभी ऐसे संकट में नहीं फंसे थे और उनके दो बच्चे, जो अब बच्चे बिलकुल नहीं रहे थे, उनको भी अपनी बात रखने की अनुमति मिलनी चाहिए थी। इतिहास बनने ही वाला था, और श्री ली को इसकी खूब खबर थी।

“मॅड” उसके पुकारा, उसका अपनी बीवी को दिया हुआ प्यार का नाम, तब से जब उनका पहला बच्चा ‘माँ’ कहना भी नहीं जानता था। “मॅड, क्या तुम वहाँ हो?”

“हाँ, मैं यहाँ पिछवाड़े में हूँ।”

ली ने कुछ पल उसके टॉइलेट से बाहर आने का इंतज़ार किया लेकिन घर के अंदर गर्मी और उमस थी, तो वह वापस बाहर के आँगन में आ गया और अपनी घास की छत वाली बड़ी सी पारिवारिक मेज़ पर बैठ गया, जहां पूरा परिवार खाना खाता था, और फुर्सत के समय बैठा करता था।

श्रीमती ली का असल नाम वान था, हालांकि उसका पति प्यार से उसे मॅड बुलाता था, जब से उसके बड़े बेटे ने उसे ऐसे बुलाया था, और यह नाम श्री ली की ज़ुबान पर चढ़ गया था, लेकिन उनके किसी बच्चे की ज़ुबान पर नहीं। वह बान नोई गाँव से आई थी, जहां से ली खुद भी था, लेकिन उसका परिवार और कहीं से नहीं था, जबकि मिस्टर ली का परिवार दो पीढ़ियों पहले चीन से आया था, हालांकि वह घरेलू शहर भी यहाँ से अधिक दूर नहीं था।

वह बिलकुल क्षेत्र की औरतों की जैसी थी। अपने दिनों में वह बहुत प्यारी लड़की थी, लेकिन उन दिनों लड़कियों को अधिक अवसर नहीं दिये जाते थे और न वे महत्वाकांक्षी होने की हिम्मत कर सकती थीं, न यह चीज़ बीस सालों बाद भी उसकी बेटी के बारे में अधिक बदली थी। श्रीमती ली ने स्कूल छोड़ने पर एक पति की तलाश की थी, इसलिए जब हेंग ली ने उसका हाथ मांगा था और उसके माता-पिता को अपने बैंक में मौजूद मुआवजे के पैसे दिखाए थे, तो उसने सोचा था कि वह किसी अन्य स्थानीय लड़के की तरह ही एक अच्छा रिश्ता है, जिनके उसे मिलने की संभावना थी। न तो उसे अपने दायरे को बढ़ाने के लिए अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भाग कर किसी बड़े शहर जाने की इच्छा थी।

वह भी अपने तरीके से हेंग ली से प्यार करने लगी थी, हालाँकि उसके छोटे से प्रेम जीवन में से गर्माहट काफी पहले ही विदा हो चुकी थी, और वह अपनी पारिवारिक कंपनी में पत्नी की तुलना में अब एक बिज़नेस पार्टनर के रूप में अधिक थी, जो उनके आपसी जीवन और उनके दो बच्चों के लिए समर्पित थी।

वान का कभी कोई प्रेमी नहीं था, हालांकि उसे अपने विवाह के पहले और बाद में प्रस्ताव तो काफी मिले। उस समय, वह नाराज हो गई थी, लेकिन अब जब वह अपने उन क्षणों को देखती थी, तो एक कोमलता अनुभव करती थी। ली उसका पहला और एकमात्र, और अब निश्चित रूप से उसका आखिरी प्यार था, लेकिन उसे इस बात का कोई पछतावा नहीं था।

अब उसका एकमात्र सपना अपने पोते-पोतियों को देखना और उनकी देखभाल करना था, जिन्हें उसके बच्चे निश्चित रूप से सही समय पर पैदा करते, हालांकि वह उन्हें नहीं चाहती थी, खासकर उसकी बेटी, जैसे उसने जल्दबाज़ी में शादी की थी। वह जानती थी कि उसके बच्चों को यदि वे सक्षम हुए तो बच्चे होने उतने ही निश्चित थे, जितना सूरज का पूर्व में निकलना। तो उनके बच्चे भी सुनिश्चित होंगे, क्योंकि वे सक्षम थे, क्योंकि यह उनके बुढ़ापे में अपने लिए कुछ वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने और परिवार की स्थिति विकसित करने का एकमात्र तरीका था।

श्रीमती ली परिवार, हैसियत और प्रतिष्ठा की परवाह करती थी, लेकिन अब जो उसके पास था उसके अलावा उसे किसी और भौतिक चीज़ की कोई कामना नहीं थी। वह उन चीजों के बिना रहने की इतनी आदी हो चुकी थी की अब वे उसके लिए कोई मायने नहीं रखती थीं।

कम से कम कहने को उसके पास पहले से ही एक मोबाइल फोन और एक टेलिविजन था, लेकिन सिग्नल खराब आता था, और सिवा इस बात की प्रतीक्षा करने के, कि सरकार आसपास के स्थानीय ट्रांसमीटरों को बदले, जो अभी नहीं तो किसी न किसी दिन तो होना ही था, इस बारे में वह कुछ भी नहीं कर सकती थी। उसे कार नहीं चाहिए थी, क्योंकि वह कहीं जाना ही नहीं चाहती थी और इसके अलावा सड़कें भी कोई बहुत अच्छी नहीं थीं।

हालांकि बात सिर्फ इतनी सी ही नहीं थी, उसकी उम्र और उस जगह के लोग बरसों से कार को अपनी पहुँच से इतने बाहर की चीज़ समझते थे कि उन्होंने दहाईयों पहले उसकी कामना करना छोड़ दिया था। दूसरे शब्दों में, वह साइकिल और पुरानी मोटरसाइकिल से संतुष्ट थी, जिन्हें मिला कर उसके परिवार का परिवहन बेड़ा बनता था।

न तो श्रीमती ली को सोने और बढ़िया कपड़ों की चाहत रही थी, क्योंकि एक किसान की आमदनी में दो बच्चों की परवरिश की हक़ीक़त ने कई सालों पहले ही उसके दिल से यह चाहत निकाल दी थी। इस सब के बावजूद श्रीमती ली एक खुश औरत थी, जो अपने परिवार के साथ रहती थी, और जो भूल चुकी थी कि वह कौन है और कहाँ से है, जब तक कि बुद्ध उसे किसी दिन दोबारा घर आने का बुलावा न भेज दें।

श्री ली अपनी बीवी को अपनी ओर आते देख रहा था, वह अपने सरोंग के नीचे किसी चीज़ को व्यवस्थित करने का प्रयास कर रही थी, लेकिन बाहर से – कुछ था, जो सही बैठ नहीं रहा था, उसने मान लिया था, लेकिन कभी पूछा नहीं। वह मेज़ के किनारे पर बैठ गई और अपने पैरों को ऐसे झुलाने लगी जैसे कोई जलपरी डैनिश चट्टान पर बैठी हो।

“अच्छा, उस बूढ़ी डायन ने क्या कहा?”

“ओह, छोड़ो भी मॅड, वह इतनी बुरी भी नहीं है। अच्छा, तुम और वह इस पर कभी एक नहीं होते, लेकिन कभी-कभी यह ऐसे ही चलता है, नहीं? उसने कभी तुम्हारे बारे में कोई बुरी बात नहीं कही, क्यों? केवल तीस मिनट पहले वह तुम्हारे स्वास्थ्य के बारे में पूछ रही थी….और बच्चों के।”

“तुम भी कभी कभी कैसी मूर्खता की बातें करते हो, हेंग। जब उसके आसपास लोग उसे सुन रहे होते हैं तो वह मुझ से मेरे बारे में अच्छे से बात करती है, लेकिन जब कभी भी हम अकेले होते हैं, वह मुझसे कचरे के जैसा बर्ताव करती है, और हमेशा करती रही है। वह मुझसे नफरत करती है, लेकिन वह इतनी कुटिल है कि वह तुम्हें यह पता नहीं चलने देगी, क्योंकि वह जानती है कि तुम मेरा पक्ष लोगे, उसका नहीं। तुम मर्द लोग सोचते हो कि दुनिया में तुम्हीं सबसे बुद्धिमान हो, लेकिन तुम्हें इसकी खबर नहीं होती है कि तुम्हारी नाक के नीचे क्या चल रहा है।”

“उसने हर तरह की चीजों के लिए कई वर्षों से और कई बार हमेशा मुझे ही दोषी ठहराया है… जैसे कि घर साफ न रखना, बच्चों को नहीं नहलाना और एक बार तो उसने मुझसे यह तक कहा था कि मेरे भोजन में ऐसी गंध आती है, जैसे मैंने महक के लिए उसमें बकरी की लेंडी का इस्तेमाल किया हो!”

“बाह, तुम इसका आधा हिस्सा भी नहीं जानते हो, लेकिन तुम मुझ पर विश्वास नहीं करते, है ना, अपनी पत्नी पर? हां, तुम मुस्कुरा सकते हो, लेकिन मैं तुमको बता दूं, मेरे लिए पिछले तीस वर्षों का यह अनुभव बहुत मज़ेदार नहीं रहा है। वैसे, उस ने क्या कहा?”

“कुछ नहीं, सच में, उसने केवल जांच की, तो उसका वही पुराना ढंग है। तुम जानती हो, थोड़े शैवाल पर पेशाब करना, एक पत्थर पर थूकना और फिर उसका तुम पर अपने बूढ़े दांतों वाले मुंह से एल्कोहल की फुहार छोडना। मुझे उसके बारे में सोच कर ही झुरझुरी आ जाती है। उसने कहा कि वह मुझसे कल बात करेगी, तब वह मुझे इसका परिणाम बताएगी।

बच्चे कहाँ हैं? क्या इस पारिवारिक चर्चा में भाग लेने के लिए उन्हें यहाँ नहीं होना चाहिए था?”

“मुझे ऐसा नहीं लगता, सच में नहीं। आखिर हम अभी कुछ भी नहीं जानते हैं, है ना? या तुम्हें कुछ समझ में आ रहा है?”

“नहीं, सच में नहीं। मैं ने सोचा कि मुझे उस चीनी लड़की से मालिश करानी पड़ेगी….हो सकता है कि अगर मैं उससे मेरे साथ थोड़ा नरमी बरतने को कहूँ तो शायद उससे कुछ फायदा हो। उसने यह हुनर उत्तरी थाईलैंड में सीखा था और वह थोड़ी कठोर हो सकती है, है ना….जैसा वे कहते हैं। तुम जानती हो, खास कर के मेरे अंदर की बीमारी, जैसी है। हालांकि शायद थोड़ी नर्म रगड़ाहट से उसमें लाभ होगा….तुम्हें क्या लगता है मेरी जान?”

“हाँ, मैं जानती हूँ, नर्म रगड़ाहट से तुम्हारा क्या मतलब है। अगर ऐसा है, तो तुम अपने अंकल से ऐसा करने को क्यों नहीं कहते? एक जवान औरत का चुनाव क्यों करना?”

“तुम जानती हो कि क्यों, मुझे अपने ऊपर आदमियों के हाथ नहीं पसंद हैं, मैं यह पहले भी कह चुका हूँ, लेकिन ठीक है, अगर तुम्हें अच्छा नहीं लगता तो मैं मालिश नहीं कराऊंगा।”

“देखो, मैं यह नहीं कह रही कि तुम नहीं जा सकते! और अगर तुम जाना ही चाहते हो तो मैं तुम को किसी तरह रोक नहीं पाऊँगी! हालांकि, जैसा तुम ने कहा, लोग कहते हैं कि वह थोड़ी कठोर है, तो वह फायदे से अधिक नुकसान पहुंचा सकती है। मैं समझती हूँ कि वहाँ न जाना बुद्धिमानी होगी, जब तक हम तुम्हारी बुआ से कारण न जान लें, बस।”

“हाँ, ठीक है। शायद तुम ठीक कह रही हो। तुम ने बताया नहीं कि बच्चे कहाँ हैं?”

“मुझे सच में नहीं पता है, मुझे लगता है कि अब तक उन्हें वापस आ जाना चाहिए था….वे सप्ताहांत पर एक साथ किसी जन्मदिन की पार्टी में गए थे।”

ली के दो बच्चे थे, प्रत्येक का एक, और वे खुद को उनके लिए भाग्यशाली मानते थे, क्योंकि उनके बेटे के गर्भ में आने से पहले वे 10 साल तक गर्भाधान के लिए प्रयास करते रहे थे। वे अब बीस और सोलह साल के थे, तो श्री और श्रीमती ली ने अन्य बच्चों की उम्मीद पहले ही छोड़ दी थी।

उन्होंने काफी पहले ही प्रयास करना भी बंद कर दिया था।

हालांकि वे अच्छे, आदर करने वाले और आज्ञाकारी बच्चे थे और उन्होंने अपने माता पिता को गर्व महसूस कराया था, या कम से कम जो उनके माता-पिता उनके बारे में जानते थे, उसपर वे गर्व करते थे, क्योंकि वे भी अन्य शिष्ट बच्चों की तरह ही थे: नव्वे प्रतिशत अच्छे, लेकिन उत्पात भी कर सकते थे, और उनके गुप्त विचार भी थे, जिन्हें वह जानते थे कि उनके माता-पिता कभी स्वीकृत नहीं करेंगे।

कुमार ली, बेटा, डेन या छोटा ली, अभी अभी बीस वर्ष का हुआ था, और उसे स्कूल से निकले अभी दो साल हुए थे। वह अपनी बहन को पसंद करता था, उसका बचपन खुशहाल रहा था, लेकिन यह हक़ीक़त उस पर सुबह की तरह ज़ाहिर थी कि उसके पिता ने उसके लिए एक बहुत ही मुश्किल जीवन की योजना बनाई थी, ऐसा नहीं था कि उसने जीवन भर स्कूल के पहले और बाद में भी काम नहीं किया था। हालांकि, फुटबॉल और टेबल टेनिस के लिए वह समय निकाल लेता था और तब स्कूल में लड़कियां नाचती थीं।

यह अब समाप्त हो गया था और कभी-कभी उसके जीवन में यौनसंसर्ग की संभावनाएं बनी थीं। ऐसा नहीं था कि इस बारे में डींगें मारने के लिए बहुत कुछ था, सिर्फ कभी कोई चुंबन और यहां तक कि कभी-कभी एक दूसरे को टटोल लेना, लेकिन अब लगभग दो साल से वह भी नहीं था। अगर डेन को ज़रा भी अंदाज़ा होता कि वहाँ जा कर क्या करना है, तो वह तुरंत ही किसी शहर की ओर चला गया होता, लेकिन अक्सर सेक्स करने के अलावा उसकी और कोई भी महत्वाकांक्षा नहीं थी।

उसके हॉरमोन उसके अंदर इस हद तक तूफान उठाए थे कि कभी-कभी उसे बकरियाँ भी बहुत आकर्षक लगती थीं, उसकी चिंताओं का कोई अंत नहीं था।

अपने अंदर गहराई में कहीं उसे महसूस होता था कि यदि उसे किसी औरत से नियमित रिश्ता रखना है तो उसे शादी करनी पड़ेगी।

शादी, बच्चे पैदा करने की कीमत पर भी उसे आकर्षक लगने लगी थी।

कुमारी ली, जिसे अक्सर डिन के नाम से जाना जाता था, सोलह साल की बहुत ही प्यारी लड़की थी। जिसने गर्मियों में स्कूल छोड़ा था, उसने अपने भाई से दो साल कम पढ़ाई की थी, जो उनके क्षेत्र में काफी सामान्य बात थी। इसलिए नहीं कि उसका दिमाग कम उज्ज्वल था, बल्कि इसलिए कि माता-पिता और लड़की, दोनों मानते थे, कि वह अपना परिवार जितनी जल्दी शुरू करेगी, उतना ही अच्छा होगा। लड़की के लिए बीस वर्ष से कम उम्र में पति मिलना उम्र अधिक हो जाने की बनिस्बत आसान भी होता था। डिन ने अपनी माँ की आशंकाओं के बावजूद इस पारंपरिक ज्ञान को बिना कोई सवाल किए स्वीकार कर लिया था।

उसने भी अपने पूरे जीवन में स्कूल के पहले और बाद में काम किया था और संभवतः वह अपने भाई से अधिक मेहनती थी, हालांकि उसने कभी भी इस का एहसास नहीं किया, क्योंकि आसपास की हर जगह लड़कियां वस्तुतः बंधुआ मजदूर थीं।

हालांकि डिन की कुछ कल्पनाएँ थीं। वह रोमांटिक रिश्तों का सपना देखती थी, जिनमें उसका प्रेमी उसे भगा कर बैंकॉक ले जाता था, जहां वह डॉक्टर बन जाता था और वह अपनी सहेलियों के साथ पूरा दिन शॉपिंग में बिताती थी। उसके हॉरमोन भी उसे परेशान कर रहे थे, लेकिन उसकी स्थानीय संस्कृति उसे खुद से भी यह स्वीकार करने से रोकती थी। उसका पिता, भाई और यहाँ तक कि माँ भी अगर परिवार के बाहर के किसी भी लड़के से उसे मुसकुराते हुए भी देख लेते तो संभवतः उसे कहीं छुपा देते।

वह यह भी जानती थी, और उसने इसे भी बिना कोई सवाल किए स्वीकार कर लिया था।

अब उसकी एक पति की तलाश शुरू करने की योजना थी, एक ऐसा काम जिसके लिए उसकी माँ पहले ही सहायता का प्रस्ताव रख चुकी थी, क्योंकि दोनों ही ली महिलाएं जानती थीं कि परिवार के लिए कोई शर्मिंदगी का अवसर आने से पहले जितनी जल्दी से जल्दी हो सके, यह पूर्ण हो जाना चाहिए।

कुल मिला कर ली उस स्थान के अनुसार विशिष्ट परिवार था, और वे इसका खुशी खुशी निर्वहन कर रहे थे। भले ही उनके दोनों बच्चों ने बड़े शहर में भागने के सपने को पाला था, लेकिन वे स्थानीय अवरोधों के भीतर अपने जीवन के साथ आगे बढ़ रहे थे और उसे ही सही और उचित समझ रहे थे। समस्या यह थी कि सदियों से पहाड़ी लोक से बंधी महत्वाकांक्षा की कमी ने उन्हें काफी पीछे छोड़ दिया था, जो सरकार के लिए एक अच्छी बात थी, अन्यथा देश के सभी युवा बहुत पहले ही गाँव से ग़ायब हो कर बैंकॉक और वहां से विदेश चले गए होते, ताइवान और ओमान जैसे देश, जहां की बेहतर मजदूरी और कठोर सहकर्मी दबाव से मुक्ति आकर्षक थी।

हालांकि कई जवान लड़कियों ने बैंकॉक का दौरा किया था। उनमें से कुछ को शालीन नौकरी मिल गई थी, लेकिन कई का अंत बड़े शहरों के यौन उद्योग में जा कर हुआ था, जहां से कुछ को और आगे, यहाँ तक कि एशिया के बाहर भी भेज दिया जाता था। युवा लड़कियों को उस रास्ते पर ले जाने से रोकने के लिए इस बारे में कई डरावनी कहानियाँ प्रचलित थीं और उन्होंने डिन और उसकी माँ पर समान रूप से प्रभाव डाला था।

श्री ली को अपना जीवन पसंद था और अपने परिवार से प्यार था, हालांकि यह घर की सीमाओं के बाहर स्वीकार करने की चीज़ नहीं थी, और वह उन्हें किसी बीमारी के लिए खोना नहीं चाहता था जो कि उसमें तब बननी शुरू हुई होगी, जब वह अभी भी केवल एक बालक था।

बूढ़ा श्री ली (हालाँकि उसे पता था कि गाँव के कुछ कम सम्मान देने वाले युवा उसे बूढ़ा बकरा ली कहते थे) अपनी युवावस्था में एक आदर्शवादी था और उसने स्कूल से निकलते ही नॉर्थ वियतनाम की ओर से लड़ने के लिए अपना नाम दर्ज कराया था। वह ठीक लाओस के साथ लगी सीमा पर रहता था, जहां से उत्तरी वियतनाम बहुत दूर नहीं था, और वह उन बमों के बारे में जानता था जो अमेरिकियों ने वहां और लाओस पर गिराए थे और वह इसे रोकने के लिए अपनी शक्ति भर प्रयास करना चाहता था।

जैसे ही उन्होंने उसे सम्मिलित किया, वह साम्यवादी अभियान में शामिल हो गया था और युद्ध प्रशिक्षण के लिए वियतनाम चला गया था। जिन लोगों के साथ वह प्रशिक्षण ले रहा था, उनमें से कई उसके ही जैसे थे, चीनी मूल के, लेकिन विदेशी शक्तियों से तंग आकर अपने देशवासियों के भविष्य के लिए हस्तक्षेप करने को विवश। वह समझ नहीं पा रहा था कि हजारों मील दूर रहने वाले अमेरिकियों को परवाह क्यों थी कि दुनिया के उनके छोटे से हिस्से में सत्ता में कौन था। उसने कभी चिंता नहीं की थी कि वे किस राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं।

हालांकि, जैसा कि भाग्य में था, उसे कभी भी गुस्से में गोली चलाने का मौका नहीं मिला, क्योंकि प्रशिक्षण शिविर से बाहर आने के पहले ही दिन, जब उसे शिविर से लड़ाई के क्षेत्र में ले जाया जा रहा था, वह एक अमेरिकी बम के छर्रे की चपेट में आ गया था। उसके घाव बहुत दर्दनाक थे, लेकिन जानलेवा नहीं थे, हालांकि वे उसे अस्पताल से बाहर निकलने के बाद सेना से बाहर निकालने के लिए पर्याप्त थे। उसे सबसे बड़ा टुकड़ा ऊपरी बाएँ पैर में लगा था, लेकिन कुछ छोटे-छोटे टुकड़े उसके पेट में भी लगे थे, जो अब उसे लग रहा था कि उसकी बेचैनी का स्रोत हो सकते थे। यह भी अफवाह थी कि उसे गोली मार दी गई थी।

वह एक खराब लंगड़ाहट और एक छोटा खेत खरीदने के लिए पर्याप्त मुआवजे के साथ घर लौटा था, लेकिन क्योंकि उसका पैर खराब हो गया था, इसलिए इसके बजाय उसने एक खेत और बकरियों का झुंड खरीदा था और उनका प्रजनन करा कर उन्हें बेचने लगा था। उसकी वापसी के एक साल के भीतर, उसका पैर उतना ही अच्छा हो गया, जितना कि वह पहले कभी था और उसने एक सुंदर स्थानीय लड़की से शादी कर ली थी, जिसे वह जानता था और अपने पूरे जीवन काल में उसका प्रशंसक रहा था। वह भी एक किसान पृष्ठभूमि से थी, और वह एक खुशहाल, लेकिन अल्प अस्तित्व में आकर बस गई।

तब से रविवार को छोड़कर, सप्ताह के हर दिन, श्री ली अपने झुंड को चराने के लिए ऊपरी ज़मीनों पर ले जाता था, और गर्मियों में, वह वहां अक्सर एक पड़ाव में रात गुजारता, जो उसने यहाँ वहाँ बना रखे थे, जिसे बनाना उसने सेना में सीखा था। वह उस समय को अच्छे दिनों की तरह उदासी के साथ याद करता था, जैसे खुशहाल दिन, हालाँकि उस समय उसने उन्हें ऐसा नहीं समझा होगा।

पहाड़ों में केवल पुरुषों को छोड़कर और कोई भी शिकारी नहीं था, क्योंकि सभी बाघों को चीनी दवा उद्योग में उपयोग के लिए बहुत पहले ही मार दिया गया था। श्री ली की उस बारे में मिश्रित भावनाएँ थीं। एक ओर वह जानता था कि यह एक शर्म की बात है, लेकिन दूसरी तरफ वह हर रात अपनी बकरियों को बाघों के झपट्टे से बचाने का इच्छुक नहीं था। अब हफ्ता पंद्रह दिन से बीमारी ने उसे घर बैठा दिया था, लेकिन वह लगभग तीस वर्षों तक एक चरवाहा रहा था, इसलिए वह पहाड़ों को उतनी ही अच्छी तरह जानता था, जितनी अच्छी तरह ज्यादातर लोग अपने स्थानीय पार्क को जानते थे।